Mandal Kamandal Poltics of BJP

-अशोक कुमार रे, अधिवक्ता

भूमिहारों की गलत राजनैतिक दिशा तभी से शुरू हुई जब से हमारे समाज ने अपने राजनैतिक हित की तिलांजली देकर भाजपा की तरफ रुख किया।

भूमिहारों ने भाजपा को समर्थन दिया, लेकिन उस समर्थन के बदले भाजपा ने विश्वनाथन प्रताप सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर मंडल कमीशन को लागू करवा दिया और यही से भारत में आरक्षण और जातीयता की राजनीति की शुरुआत हुई जिसका दंश भू-समाज समेत पूरा देश अबतक झेल रहा है।

Mandal Kamandal Poltics of BJP
अशोक कुमार रे

विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जब मंडल कमीशन को लागू किया तो भाजपा ने चूं तक नहीं किया। एक तरह से इसमें उनकी मौन सहमति थी। लेकिन भूमिहार समाज ने फिर भी सीख नहीं ली और 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विरोध की अंधी दौड़ में शामिल हो गया। इस विरोध का परिणाम ये रहा कि कांग्रेस तो सत्ता से बाहर हो गयी, लेकिन लालू यादव का प्रादुर्भाव हो गया जिससे लड़ने में भूमिहार समाज ने अपने 15 साल गंवा दिए। रही-सही कसर दल-बदलू, अपराधी और कमजोर भूमिहार नेताओं ने पूरी कर दी। मामला यही नहीं रुक। सुशील मोदी जैसे समाज विरोधी व्यक्ति को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनने में मदद कर समाज ने अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार ली।

अब हालात ये हैं कि डॉ. सीपी ठाकुर उपेक्षित हैं तो मनोज सिन्हा को यूपी सीएम पद के लिए नाम उछालकर बलि का बकरा बनाया गया। गिरिराज सिंह को कद के हिसाब से पद नहीं दिया गया और नवादा से उठाकर बेगूसराय में चुनाव लड़ने के लिए खड़ा कर दिया गया।

लेकिन इसके बावजूद हमारा समाज अबतक जगा नहीं है। भाजपा या राजनैतिक दलों की अंधभक्ति से नहीं निकला है। इस मामले में हमे राजपूत समाज से सीखने की जरूरत है जो दल को नहीं अपने नेता को समर्थन करते हैं और इसी वजह से वे राजनीतिक रूप से मजबूत हैं। भूमिहार समाज को भी इससे सीख लेनी चाहिए और समाज के प्रत्याशी चाहे किसी भी दल से क्यों न हो, उसका समर्थन करना चाहिए। भाजपा की अंधभक्ति और दूसरे दलों से परहेज समाज को महंगा पड़ सकता है क्योंकि कुछ लोग खतरनाक रूप से भाजपा का मंडलीकरण करने की कोशिश में लगे हैं।

(भूमंत्र के वॉल से)

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