-श्री अभयानंद (पूर्व डीजीपी एवं संस्थापक सुपर-30)
कहाँ गए वो दिन?
वाकया 30 वर्ष पूर्व का है। लोक सभा के आम चुनाव हो रहे थे. एक ज़िले के पुलिस अधीक्षक के रूप में, निष्पक्ष चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी मेरे कंधे पर थी. उसके निर्वहन की प्रक्रिया में, मैंने अपने स्तर पर पूरे ज़िले में 107/113 Cr.P.C की कार्रवाई बहुत बड़े पैमाने पर की थी. संभवतः राज्य के तत्कालीन मुख्मंत्री को यह कार्रवाई नागवार लगी.
वह दौर ऐसा था, जब चुनाव आयोग की चर्चा नहीं होती थी. निष्पक्ष चुनाव का दायित्व ज़िले के SP, DM और राज्य के Chief Secretary(CS), DGP पर ही हुआ करता था.
चुनाव के पूर्व, डीएम और मेरी पेशी चीफ़ सेक्रेटेरी के समक्ष हुई. चीफ़ सेक्रेटेरी ने बड़े प्यार से चाय पिलाई और बताया कि मुख्यंत्री ख़ासे नाराज़ हैं हमलोगों की प्रतिरोधात्मक कार्रवाई को लेकर.
चीफ़ सेक्रेटेरी ने पूछा कि हमने कौन सी कार्रवाई की है. हम दोनों ने उन्हें पूरी प्रक्रिया को और उसके कानूनी पहलू को भी बताया. धैर्य से सुनने के बाद उन्होंने सिर्फ़ एक सवाल पूछा – तुम दोनों आश्वस्त हो कि तुम्हारी प्रक्रिया कानूनी रूप से पूर्णतः ठीक है? जब हम दोनों ने एक स्वर में हाँ में उत्तर दिया तब उनकी सलाह मिली – तुम लोग कानून के मुताबिक सही काम करते जाओ. मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी चुनाव में एक पक्ष हैं. तुम्हें निष्पक्ष होना है. चूंकि उन्होंने मुख्यमंत्री की हैसियत से यह शिकायत की है, तुमलोग एक विस्तृत संयुक्त प्रतिवेदन अभी ही रिकॉर्ड के लिए भेज दो.
हमने ऐसा ही किया.
कहाँ और क्यों गए वैसे पदाधिकारी?