दिनेश्वर (सूर्य) का दिवंगत (स्वःलोक गमन) होना एक आत्मसंवेदना दे गया। मगध के धराधाम में अवतरित विक्रमादित्यवंशी इस अधिकारी का चरित्र अनुपमेय व्याकरणसूत्र पर अवलंबित था। हाँ!
जीवन का दृढ़सिद्धांत और परमोच्चराष्ट्रसंकल्पता एक वृहण्व्याकरण ही है। सूत्रोपदिष्ट त्रृतंभराघृत तपोनिष्ठ सारल्यधर्मी सहज जीवन-दृष्टि। यही चरित्राभूषण से मण्डित थे दिनेश्वर शर्मा। सहकर्मियों के मध्य मृदुल हास्य वाला ‘स्ट्रेट सूटर’। चाणक्य के कुटिल-कौशल्य के आधुनिक अवतरण। आतंकवाद में लिपटते केरल में अपनी दुर्लभ योग्यता के साथ दृढ़यूप की तरह दीप्तिमान रहे दिनेश्वर ने 1990 में कश्मीर जाकर आतंकवाद के ज्घ्न्यतम स्थिति को नियंत्रित वैसे ही किया था जैसे कभी कुमारामात्य अशोक ने। मोदी सरकार में दो वर्ष आई बी प्रमुख रह आंतरिक सुरक्षा के नवसूत्रों के दे जब वे अवकास पर जा रहे थे, प्रधानमंत्री और गृहमंत्रालय के सेवावधि बढ़ाने के निवेदन को उन्होने ठुकरा दिया। पर राष्ट्रसेवा भाव से पहले असम और पुनः जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद मिटाने का संकल्प ले पर्यवेक्षक बने। स्ट्रेट सूटर का मृदुस्मितहास्य संजयी बना। गृहमंत्रालय को कड़े निर्देश देते रहे और मंत्रालय ने मानो शिष्यवत् अनुशरण किया चाहे वे राजनाथ सिंह थे या अमित शाह। 370 व 35 A हटाने के पहले पत्थर बरसातें दिग्भ्रमितों पर नियंत्रण कौन लगाया?
मिडिया कैसे काम करे आतंकवाद जैसे विषय पर यह बात अमित शाह को किसने समझायी और कुछ ही महिनों में 35 A नामक गलन्तकुष्ठ के उपचार की शल्यक्रियात्मक अभिचार की संदर्शिका किसने गढ़ी? कश्मीर को दिशा दे वे जब पुनः अवकास की ओर मुड़े तो राज्यपाल बनाये जाने की परिचर्चा होने लगी। तब बड़ी सहजता से वे बोले अब पोता पोती को खेलाने दीजिए। यह विनय स्वीकार न की गयी। प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप उनके लिये लक्षित कर दिया। कारण जानते हैं आप? लक्षद्वीप अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक जेहाद का नया लक्ष्य था। फिर कौन करता उस घहराते अंधेरे का अवच्छेदन। निश्चय ही कोई दिनेश्वर। आपका यह स्वर्गारोहण सप्तरश्मिकाश्वरथ से हुआ। आपकी अप्रतिहत राष्ट्रनिष्ठा को अश्रु तर्पण।
-विरासत विज्ञानी श्री आनंद वर्धन