प्रवासी मजदूरों के बिहार लौटने से कोरोनावायरस के मामले में तेजी से इजाफा हो रहा है। गुरुवार को राज्य के विभिन्न जिलों में 149 नए मामले सामने आए, जिससे राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,185 हो गई है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार को सबसे अधिक बेगूसराय में 19, नालंदा में 13, नवादा में 10, भागलपुर, गया व पटना में 12-12 तथा पूर्वी चंपारण में 11 मामले सामने आए हैं।
प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले अब तक सबसे अधिक पटना में 245, रोहतास में 201, मधुबनी में 176 तथा बेगूसराय में 180 मामले सामने आए हैं।
बिहार राज्य स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि अब तक कुल 70,275 सैंपल्स की जांच की जा चुकी है और अब कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3,106 हो गई है। उन्होंने कहा कि अब तक कुल 1,050 लोग स्वस्थ होकर वापस घर जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि तीन मई के बाद 2,168 प्रवासी व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। राज्य में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है।
केंद्र और राज्य सरकार की नाकामी ने बिहार को मौत के मुंह में धकेल दिया !
केंद्र और राज्य सरकार कोरोना को रोकने में नाकाम रही है और अब वायरस गाँव-देहातों में भी अपने पैर पसार चुका है. बिहार में कोरोना के रोगियों की संख्या में तेजी से उछाल की वजह अलग-अलग राज्यों से लौटे मजदूर बताए जा रहे है जो सही भी है. लेकिन सवाल उठता है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? निश्चित तौर पर केंद्र और राज्य सरकारें क्योंकि राज्य सरकारों ने भी उसपर हामी भरी थी. उस वक़्त किसी ने मजदूरों के बारे में नहीं सोंचा. बहरहाल आपने लॉकडाउन कर ही दिया तो मजदूरों के लिए इंतजाम करने और उनकी सुरक्षित रखने की कोशिश तो करनी चाहिए थी जो कहीं नहीं दिखी. महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्य मजदूरों के लिए कुछ करने की बजाएं उनसे पीछा छुड़ाने और राजनीति करने में जुट गए. परिणाम क्या हुआ, लॉकडाउन का मकसद सफल होकर अंततः असफल हो गया.
लॉकडाउन का मकसद था जो जहाँ है वह वही रहेगा ताकि कोरोना का प्रसार न हो. लेकिन मजदूरों के मामले में ये पूरी तरह से फेल रहा. केंद्र सरकार की घटिया रणनीति ये रही कि जब मजदूर कोरोना वायरस से ग्रसित नहीं थे तब उन्हें रोका गया और जब वायरस कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया, मजदूर वायरस से इन्फेक्टेड हो गए तो उन्हें बिहार और यूपी में ठेल दिया गया और अब बिहार व यूपी जैसे राज्य तलवार की धार पर हैं. यूपी तो शायद संभल भी जाए लेकिन बिहार जैसे राज्य जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर बुनियादी चीजों का भी अभाव है वहां के लोगों पर मौत मंडरा रही है. केंद्र और राज्य सरकार की यह विफलता बिहार के लिए भारी पड़ेगी.