मोदी जी अपना काम कर रहे हैं – आप उनका साथ दीजिये आप भी योगदान दीजिये, लेकिन कैसे? हमें इस बात को समझने में अब कोई देर नहीं करनी चाहिए की कोरोना अब हमारे जिन्दगी का हिस्सा है. ये वायरस हमारे आस-पास फुदकता रहेगा. हम इससे बच लें तो ठीक नहीं तो हमारे घर में भी फुदकेगा और यदि हमारे घर में फुदका तो तोड़-फोड़ मचाएगा . क्या टूटेगा क्या बचेगा वह कोरोना की मर्जी! और हाँ, भगवान भरोसे मत रहिएगा . यह कोरोना, इंसानों को सबक सिखाने के लिए उसी भगवान का दूत है .
बहरहाल मैं आपके जीने के तरीक की बात कर रहा हूँ मान लीजिये कि कोरोना बहुत तेजी से बढ़ रही है…
क्यूँ बढ़ रही है?
क्यूंकि यह आसानी से एक इंसान से दुसरे इंसान में फ़ैल रहा है . . .
क्यूँ आसानी से फ़ैल रहा है?
क्यूंकि यह वायरस इंसान के खांसी और थूक में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है और मनुष्य के शरीर के बाहर भी बहुत दिनों तक – पांच दिनों तक – अपने अगले शिकार के इंतज़ार में रह सकता है . . . संक्रमण करने की शक्ति को बनाए हुए . . .
ऐसे वायरस से बचना आसान नहीं है . . .
यह हमारे आस पास हमेशा के लिए रहेगा
इससे छुप कर नहीं लड़कर हीं इसे हराया जा सकता है . . .
मतलब ?
इस बात को समझने में अब कोई देर नहीं नहीं कीजिये की कोरोना अब हमारे जिन्दगी का हिस्सा है . . . हमारे आस पास फुदकता रहेगा . . .
हम इससे बच लें तो ठीक नहीं तो हमारे घर में भी फुदकेगा . . .
बचना आसान नहीं है , , , मान लीजिये . . .
घर में बंद रहने का समय चला गया . . .
सावधानी से रहना और इस बीमारी से बचना होगा . . .
मोदी जी भी बोल दिए की यह बीमारी विश्व युद्ध की तरह दुनिया को हमेशा के लिए बदल देगी
कोरोना, इंसानों को सही करने के लिए भेजा गया भगवान का दूत है . . .
तो सबक जल्दी से सीख लीजिये . . .
तो
सबक क्या है?
सबक है –
बचने का उपाय –
(1) अपनी साफ़ सफाई
(2) दूसरों (अनजान लोगों) से दूरी
(3) आस पास की गन्दगी की सफाई और उससे दूरी
(4) अपना काम कीजिये – नहीं तो कोरोना के बदले भूख से मर जायेंगे . . .
और सबसे पहले – सरकार और प्रशासन के निर्देशों का पालन कीजिये
उसके बाद –
आईये सारे पॉइंट को डिटेल में समझते हैं –
(1) अपनी साफ़ सफाई –
– फेस मास्क लगाईये
– चश्मा लगाईये
– ग्लव्स लगाईये
– फुल बांह का शर्ट पहनिए
– घर पन्हुन्चते हीं सारे कपडे और अन्य ढकने के वस्त्रों को साफ़ कर दीजिये और खुद साबुन से स्नान कीजिये
– घर के लोगों को भी ऐसा हीं करने करने की सलाह दीजिये , , ,
(2) दूसरों (अनजान लोगों) से दूरी –
– हमेशा मास्क लगाकर – चश्मा पहनाकर – ग्लव्स लगाकर हीं मिलिए
– मिलने पर एक दूसरे से दूरी बनाये रखिये
– हाथ जोड़ कर प्रणाम कीजिये – दूसरों से अलग रहते हुए – बिना छूए हूए
– यदी स्पर्श करते हैं तो तुरंत पानी – साबुन पानी – यदी संभव हो तो सैनिताईजर से साफ़ कीजिये
(3) आस पास की गन्दगी की सफाई और उससे दूरी –
– आस पास को पानी – साबुन पानी – यदी संभव हो तो सैनिताईजर से साफ़ कीजिये
– यदी किसी अनजान चीज को छूटे हैं तो पानी – साबुन पानी – यदी संभव हो तो सैनिताईजर से साफ़ कीजिये
(4) अपना काम कीजिये – नहीं तो कोरोना के बदले भूख से मर जायेंगे . . .
– काम करते हुए हमेशा मास्क लगाकर – चश्मा पहनाकर – ग्लव्स लगाकर हीं मिलिए
– मिलने पर एक दूसरे से दूरी बनाये रखिये
– हाथ जोड़ कर प्रणाम कीजिये – दूसरों से अलग रहते हुए – बिना छूए हूए
– यदी स्पर्श करते हैं तो तुरंत पानी – साबुन पानी – यदी संभव हो तो सैनिताईजर से साफ़ कीजिये
अभी बच्चों को स्कूल भेजने की बात सोचिये
बुजुर्गों, दम्मा (सांस की बीमारी- अस्थमा), टी बी, डायबिटीज, एच आई भी, कैंसर, ट्रांसप्लांट . . .जैसे रोगियों को बाहर नहीं निकलना चाहिए . . .
दस साल से कम उम्र के बच्चे और साथ साल से ज्यादा के बूढों को भी सुरक्षा की जरुरत है . . .
आप बोलिएगा भईया सरकार ने तो ऐसा नहीं कहा . . . आप लॉक डाउन को तोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं – भाई साहेब आप रयुमर फैला रहे हो . . . भाई सबसे पहले आप सरकार के और प्रशासन के फैसले का अनुपालन कीजिये
मैं ये बात सरकार और प्रशासन के निर्देश का पालन करते हुए करने के लिए कह रहा हूँ . . .
पर
भाई सरकार तो हमारी यूं हीं जागती है . . .
कुम्भकरण के इस्टाईल में . . .
क्यूंकि वो ब्यूरोक्रेसी की गुलाम है – वैसे हीं जागेगी जैसे ब्यूरोक्रेसी जगाएगी . . .
क्यूँकी हमारी ब्यूरोक्रेसी तो अंग्रेजियत को आगे बढाने वाली भारतीय जनता को अपना दुश्मन और गुलाम समझने वाली ब्यूरोक्रेसी तो तभी संभलेगी जब आग उसके घर तक पंहुंच जाए जब उसके अपने हिस्से की कमाई पर धक्का लगाने लगे . . .
और उस अंग्रेजियत को एन्जॉय करने के लिए हीं नेता जी संसद पन्हुन्चते हैं . . . और इस अंग्रेजियत को कायम रखने के लियी हीं काम करते हैं . . . जनता को उसका सेवक होने का ढांढस बंधा – बंधा कर . . . यदी ऐसा नहीं होता तो नेता जी सबसे पहले प्रशासनिक व्यवस्था को अंग्रेजों के बदले भारतीय मानसिकता का बनाते . . . जो भारतीय नागरिक को उसके कामगार को इज्ज़त देती . . . उसे भेद और बकरियों की झुण्ड नहीं समझती . . . लेकिन ऐसा पहले नेताजी को समझना होगा . . .
खैर
अब इससे आगे बढ़ते हैं . . .
अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा कीजिये
डॉ. मनीष कुमार
न्यूरोसर्जन
9840267857