प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट का विस्तार किया तो भूमिहार नेता गिरिराज सिंह को भी उसमें शामिल किया. गिरिराज सिंह को शामिल कर मोदी ने उन पर एहसान नहीं किया है, बल्कि पिछले चार वर्षों से गिरिराज द्वारा मोदी फैंस क्लब चलाने के लिए उनके कर्ज को उतारा है।
गुजरात दंगे के संदर्भ में मोदी का नाम लेने से जब सब डरते थे, तब गिरिराज मजबूती से ना केवल इस बात को दोहराते थे कि मोदी पर प्रचार के लिए पाबंदी खत्म की जानी चाहिए। बल्कि बाद के दिनों में मोदी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार हो उसकी वकालत बिना उसके परिणाम की चिंता किए हुए जमकर किया करते थे।
प्रधानमंत्री मोदी के जेहन में ये बात थी. शायद इसलिए प्रधानमंत्री बनने के बाद जब मोदी ने कैबिनेट में 75 वर्ष से ज्यादा उम्र के नेताओं को शामिल नहीं करने की घोषणा की तो गिरिराज सिंह के मंत्रिमंडल में प्रवेश का मार्ग आसान हो गया।
दरअसल गिरिराज चूँकि बिहार के भूमिहार जाति से आते हैं और उस जाति से दो और दिग्गज डॉ. सीपी ठाकुर और भोला सिंह भी कतार में थे, लेकिन दोनों की उम्र 75 साल से अधिक थी। तो ऐसे में प्रधानमंत्री के इस घोषणा के बाद गिरिराज के प्रवेश को चुनौती देने वाला कोई नहीं बचा। यानी भूमिहारी दाँव से गिरिराज सिंह ने सबको कर दिया चित्त. (इनपुट – एनडीटीवी + भूमंत्र)