बिहार चुनाव होने में अभी तकरीबन एक साल का समय है लेकिन सभी दल जातीय समीकरण बनाने में जुट गए हैं. आगामी चुनाव के मद्देनज़र भूमिहार वोट का भी बिहार की राजनीति में खासा महत्व है और इसी महत्व को समझते हुए एक तरफ जहाँ भूमिहारों को रिझाने के लिए नीतिश कुमार दिल्ली आकर श्रीकृष्ण जयंती समारोह में शिरकत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ नहला पर दहला मारते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भूमिहार नेता गिरिराज सिंह को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया.

भूमिहार जाति के गिरिराज सिंह पहली बार नवादा से सांसद बने हैं. मोदी के प्रबल समर्थक माने जाते हैं. लेकिन लघु उद्योग जैसा मंत्रालय देकर मानो उन्हें सेट कर दिया गया है. गिरिराज सिंह से बड़े कद के भी भूमिहार नेता बिहार में हैं. लेकिन गिरिराज को आगे करके एक दबंग छवि पेश करने की कोशिश की गई है.

बिहार में करीब 5 फीसदी भूमिहार वोटर हैं. इस समुदाय के लोग एनडीए के परंपरागत वोटर रहे हैं. लेकिन पिछले दिनों हुए विधानसभा उपचुनाव में नीतीश ने इस जाति के उम्मीदवार को टिकट देकर बीजेपी के आधार वोट में सेंध लगा दिया था. 

माना जाता है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहली बार मोदी ने बिहार के किसी भूमिहार नेता को मंत्री नहीं बनाया जिसका नुकसान उपचुनाव में हुआ था. उस चुनाव में पार्टी ने गिरिराज सिंह या फिर बाकी भूमिहार नेताओं का, सही इस्तेमाल भी नहीं किया था. 

अब गिरिराज को मंत्री बनाकर बिहार-झारखंड के भूमिहारों को खुश करने की कोशिश भले ही की गई हो लेकिन कम महत्व वाले मंत्रालय का अपना साइड इफेक्ट भी है. इससे पहले वाजपेयी सरकार में भूमिहार कोटे से सीपी ठाकुर मंत्री बनाये गये थे. उस वक्त भी पहली बार में किसी भूमिहार को मंत्री नहीं बनाने की गलती वाजपेयी ने की थी जिसका नुकसान उन्हें तब के उपचुनाव में उठाना पड़ा था. बाद में हुए विस्तार में सीपी ठाकुर को स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई.

(INPUT – ABP NEWS)