समाज सरकार का निर्माण करती है परंतु उसे यह भूलना नही चाहिये कि सरकारें भगवान नही होती।
समाज की सोच में सबसे बड़ी गलती यह होती है कि वह मान लेता है कि उसने एक अलौकिक दिव्य शक्ति की संरचना कर दी है जिसमे आम चुनाव रूपी अनुष्ठान के माध्यम से प्राण-प्रतिष्ठा की गई है। अब आम आदमी को केवल इस ईश्वर में आस्था होनी है और सभी समस्यायों का निदान होगा.
वोट देने समय याद रखें कि सरकार एक मानव समूह है जिससे अत्यधिक आशा कर लेना दुखों का कारण बन जाता है। वोट देकर अपने अपने हाँथ पावँ नही काट लिये हैं बल्कि आपकी अपनी शक्ति सरकार में आपकी सलामती के लिये अमानत के रूप में रखी है जिसपर आपका अधिकार निरंतर रहेगा. इस अधिकार को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया बनाईये। समझदार बने और समझदारी से समझदार प्रतिनिधि चुनें।
एक बार वोट देकर अपनी सारी शक्ति ५ वर्षों के लिए समाप्त कर लेते हैं। यदि नेता चुनने में गलती हो गयी ऐसा बाद में मालूम पड़े फिर पछतावे के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं होता है नागरिक के पास।
फिर अगले चुनाव में फिर कोई नई मूर्खता करेंगे और ऐसे ही पीढ़ियां बदलती जायेंगीं और लोग मुर्ख है बने रहेंगे। और झांसे का व्यापार करने वाले अपना व्यापार चमकाते रहेंगें।
सरकार चुनने के पहले ५-१० साल पहले के सरकार द्वारा किए गये कामों को dhyan में रखें
absolutely right statement by sir.
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