brahmeshwar mukhiya

प्रभाकर सिंह-

बिहार में एक समय पूरे प्रदेश से #सवर्णों का सफाया कर दिया गया…. जो संपन्न थे.. जिनके अंदर नेतृत्व क्षमता थी… जो सवर्णों को सम्बल प्रदान करते थे…. गाँव के गाँव खाली होने लगे… !! एमसीसी… सीपीआई माले नक्सली संगठन …सीधे नाम पूछ कर मार दिया करते थे जिसके नाम में मिश्रा, पाण्डेय, ‘शर्मा’….’सिंह’ आदि लगा हो…. सवर्णों ने खेती करना बंद कर दिया था।

छोटे-बड़े सारे घरों को छोड़ लोगों ने शहरों में जाकर पनाह ले ली… गाँव के घर वीरान पड़े थे। इस तरह खेत और घरों पर नक्सली संगठन के मार्फत दलितों ने कब्ज़ा कर लिया था। लालू से लेकर नितीश तक नक्सलियों को “#भटका हुआ समाज” कह कर बाइज्जत बरी कर देते थे और सवर्ण विरोधी होने के कारण यह लोग एक प्रकार से कभी प्रत्यक्ष कभी अप्रत्यक्ष उन नक्सलियों की मदद करते थे. किसी भी सवर्ण की हत्या में नक्सली सन्गठन का नाम जोड़ दिया जाता… इसके बाद तो किसी के विरुद्ध मामला बनता ही नहीं था। लाखो सवर्ण घर बार छोड़ कर अपमान के साथ अपनों की #लाशों के साथ भागते फिरते।

अब यहां सवर्णों के पास दो ही रास्ते थे… #कश्मीरी पंडितों की तरह हमेशा के लिए भागे भागे फिरते रहे या नया इतिहास लिखने हेतु सशस्त्र लड़ाई लडें। बिहार का सबसे #प्रभावशाली समाज है ‘#भूमिहार’…. जो ब्राह्मण होने की वजह से धार्मिक भी है और भगवन #परशुराम के वंशज होने की वजह से #क्षत्रिय भी। ये क्षत्रियता तो उनके #खून में था … बस सोया पड़ा था जो अत्यधिक अत्याचार की वजह से बस जागने ही वाला था। इसके बाद वो हुआ जो इतिहास में कभी नहीं हुआ था…

ऐसा माना जाता है कि जिस क्षेत्र में नक्सलियोंका गढ़ बन गया वहाँ से उसे कोई उखाड़ नहीं सकता. लेकिन पहली बार नक्सलियों के पाँव उखड गए। लाखो सवर्ण वापिस अपनी जमीन पर पहुंचे। अपने खेतों में फिर से खेती शुरू की। जो काम सरकार नहीं कर पायी उसे #ब्रह्मेश्वर_मुखिया जी ने व उनके नेतृत्व ने कर दिखाया था।

#ब्रह्मेश्वर_मुखिया_जी ने सवर्णों को उनका सम्मान दिलाया.. उनको उनकी जन्मभूमि दिलाई। अपमान का ही नहीं .. बीवी बच्चों के खून का बदला लिया। मुखिया जी #अमर रहे।

#कलयुगी__परशुराम #शेर सी शख्सियत ,
#मूछों पर ताव था, काँधे पर
#जनेऊ, माथे पर
#तिलक लाल जिसके रहता था
#पंडित ब्रहमेश्वर सिंह ( मुखिया जी) को शत् शत् नमन **

(प्रभाकर सिंह के फेसबुक वॉल से साभार)

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