एकजुट हो रहा है भूसमाज 


भूमिहार ब्राहमणों का अतीत गौरवपूर्ण रहा है.परशुराम को अपना इष्टदेव मानने वाली इस जाति को अपनी कर्मठता,भूमिप्रेम और बुद्धिमता के लिए जाना जाता है.आचार्य चाणक्य से लेकर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ और बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ.श्रीकृष्ण सिंह से लेकर स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर तक इस जाति के प्रभुत्व और गौरवपूर्ण इतिहास की कहानी को बताता है.लेकिन समय के साथ भू-समाज की स्थिति पहले जैसी नहीं रही.राजनीति में तो ये एक तरह से हाशिए पर चली ही गयी और राजनैतिक नेतृत्व के नाम पर भी उसके पास एक भी ऐसा चेहरा नहीं जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हो और पूरा समाज उसके नेतृत्व को स्वीकार करता हो.दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह आपसी फूट का होना है.इसी मुद्दे पर भू-समाज के एक ‘रणवीर’ ने ‘भूमंत्र’ को एक सकरात्मक मेल किया है जिसमें उनका मानना है कि भूसमाज देर से ही सही, मगर अब एकजुट होकर सकरात्मक दिशा में बढ़ रहा है.पढ़िए उनकी पूरी बात (भू-सेवक):— 
भूमिहार समाज देर से ही सही,पर एकसूत्र में बंध रहा है : कहा जाता है कि जंगल मे दो शेर एक साथ नही रह सकते| कारण साफ है राजा तो एक ही रहेगा| अत: राजा बनने की चाहत ही दोनो शेरो को एकजुट नही रहने देता है| ठीक यही बात भूमिहार समाज पर भी लागू होता है|यही कारण है कि हमारा समाज नेतृत्व विहीन है, क्योकि हमलोग खुद में नेता है फिर क्यो किसी को नेता माने? यही सोच कभी हमे लालू का पिछलग्गू (वी. पी. सिंह के समय), कभी नीतीश का तो कभी भाजपा का पिछलग्गू बना देता है और सारे पार्टी किसी एक को मंत्री पद देकर इस वोट बैंक को जोड़े रखना चाहते है| और मंत्री पद पाने वाले नेताजी भी अपने आप को भूमिहार का नेता मान बैठते है, पर भूमिहार पर अत्याचार होने पर चूँ तक नही कर पाते हैं। यही कारण है समाज फिर उन्हे भी नकार देता है |— खैर इन्ही पहलूओ को देखते हुए पिछले साल भूमिहार युवाओं ने राजनेताओ को दरकिनार करते हुए 18 जून 2016 को भूमिहार प्रतिभा सम्मान समारोह का सफल आयोजन कर युवाओ मे सहयोग का भावना जागृत कर एकता कायम करने में सफलता हासिल किये है | तबसे आज तक इस ग्रुप द्वारा 25-30 युवको को रोजगार एवं लगभग 10 लोगो को रक्तदान देकर जीवन बचाया गया है| एक अह्वान पर समाज के युवक मदद के लिये आगे आ रहे है |

पथरा इंगलिश की घटना हो या भूमिहार आँपरेशन का षड़यंत्र भू-समाज के युवाओ ने तमाम मुद्दे पर पुरजोर तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया है|गौरतलब है कि ये सभी कार्य किसी एक व्यक्ति या संगठन द्वारा नही बल्कि नेतृत्वविहीन और बिना किसी संगठन की मदद से हुआ है| भू-समाज के मुट्ठीभर युवको ने समाज को कई बार दिखा दिया है कि अगर हम मुट्ठीभर युवक एकजुट होकर इतना कर सकते है तो सोचो जिस दिन सारा समाज निस्वार्थ भाव से एकजुट हो खड़ा हो गया तो उसदिन ऐसा कौन सा लक्ष्य है जो हमलोग हासिल नही कर सकते |कहने का अभिप्राय है कि धीरे-धीरे ही सही पर हमारा समाज अब एकजुट हो रहा है और वो दिन दूर नहीं जब भूसमाज का पताका बिहार और देश में नहीं पूरे विश्व में फहराएगा और समाज के दूसरे वर्गों के लोग हमारी एकता और कामयाबी का उदाहरण देंगे.
ज़मीन से ज़मीन की बात 
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