देश के हरेक राज्य से आज बिहार के लिए मानव श्रृंखला बन गयी है. अब सवाल उठता है कि अप्रवासी मजदूर के रूप में जो मानव श्रृंखला बनी है उसके लिए बिहार सरकार क्या करेगी? सत्ता की अराजकता चरम पर है. उदहारणस्वरूप बिहार में क्वारंटाइन सेंटर की हालत बेहद दयनीय है.सरकार के अनुसार क्वारंटाइन सेंटर में मौजूद हरेक व्यक्ति पर खर्च का बजट 2400 रुपया है लेकिन वहां फंसे लोगों को मिल रहा है चूड़ा, नमक और मिर्च. यह बिहार सरकार की अकर्मण्यता का ही एक नमूना है. दूसरी तरफ कोरोना युग में भी अपराध चरम पर है. रोज चोरी-डकैती और हत्या की ख़बरें आ रही है.
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उक्त बाते आज भूमंत्र लाइव सेशन के दौरान पूर्व सांसद डॉ. अरुण कुमार ने कही. आज वे प्रवासी मजदूर और बिहार की ग्रामीण व कृषि अर्थव्यवस्था की श्रृंखला के तहत चल रहे भूमंत्र संवाद में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि बिहार की अकर्मण्य सरकार आज रोजगार और पैकेज देने की बात कर रही है लेकिन इसी भ्रष्ट सरकार ने बिहार में मौजूद सभी कल-कारखानों और लघु-कुटीर उद्योग को साजिशन बंद कर बिहार को अँधेरे की तरफ धकेल दिया. सरकार के सारे काम जिंदाबाद संस्कृति के लिए है और इस संस्कृति के वाहक बनते हैं भटके हुए ऐसे युवा जिन्होंने अपनी शिक्षा तक पूर्ण नहीं की है. लेकिन इस जिंदाबाद संस्कृति का बनते हुए वे ये भूल जाते हैं कि आप ये जिंदाबाद का नारा किसके पक्ष में लगा रहे हैं! इस समझ को विकसित करने के लिए जरुरी है कि युवा पहले ज्ञानवान बने और यह शिक्षा से ही संभव है. युवा वर्ग अपने आपको शिक्षित और ज्ञानवान नहीं बनाएगा तो दूसरों को क्या अपने शोषण को भी रोक नहीं पायेगा. उन्हें समाज के कालनेमियों (कालनेमी नाम का मायावी राक्षस साधू के वेश में हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने से रोकने के लिए प्रपंच करने आया था) से अपने आप को बचाने की जरुरत है.
उन्होंने अप्रवासी बिहारियों का आह्वाहन करते हुए कहा कि बाहर रह रहे लोग बिहार के गाँवों में झांके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था यथा- डेयरी, फिशरीज आदि में अवसर तलाशे. पुरानी खेती के तरीकों में बदलाव की जरुरत पर भी उन्होंने बल दिया. उन्होंने कहा कि सामूहिक खेती आज की जरुरत है. साथ में बुद्धिमता से ये भी तय करने की जरुरत है कि ऐसी कौन सी खेती की जाए जिससे ज्यादा फायदा हो. कैश क्रॉप पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है. हालांकि बहुत सारे लोग ऐसा कर भी रहे हैं.लेकिन उनका प्रतिशत बहुत कम है.
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लेकिन यह सब सरकार के भरोसे करना संभव नहीं है. आपको स्वयं ही पहल करनी पड़ेगी. बिहार बनेगा तो देश बनेगा.सरकार की अराजकता से निकलने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे.समाज को इसमें पहल करनी होगी और यह याद रखने की जरुरत है कि समाज ने देश को एक से बढ़कर एक मनीषी दिए हैं. इस दौरान उन्होंने बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद की उस पहल की भी प्रशंसा की जिसमें उन्होंने समाज के गरीब बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया था जिसके बाद बजबजाते जातिवादियों के निशाने पर वे आ गए थे. सुनिए डॉ. अरुण कुमार का पूरा संवाद –
sadhuvad arun ji
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