-श्री अभयानंद (पूर्व डीजीपी एवं संस्थापक सुपर 30)
चुनाव का शोर थम गया, लेकिन ज़िन्दगी की दौड़, ख़ासकर गरीब और मजदूर वर्ग के लिए, न थमा और न ही कभी थमेगा।
अगले कुछ दिनों तक जीत-हार पर चर्चा मीडिया के विभिन्न अंगों में होगी। सरकारी पदाधिकारियों में पद पाने की जुगाड़ शुरू होगी। बड़े बँगलों पर नज़र और उनकी अपनी पसंद के अनुसार रंगाई-पुताई की जुगत लगाई जाएगी।
कुल मिलाकर, पटना शहर का माहौल वैसा ही रहेगा जैसा घर पर लोग दामाद के आने पर करते हैं। स्वागत में सबसे अधिक व्यस्त पदाधिकारी और ठेकेदार दिखेंगे।
आम आदमी को थोड़ा धैर्य रखना होगा।
सरकार बनने तक की प्रक्रिया में उसकी कोई भूमिका नहीं है सिवाय गैलरी से तमाशा देखने के। जैसे ही ये तमाशा ख़तम हो जाता है और सरकार एवं सदन गठित हो जाती है, आम आदमी की घड़ी की उल्टी गिनती शुरू हो जानी चाहिए।
आप ने नज़र हटाई और सरकार एवं आपके प्रतिनिधि अपना खेल शुरू कर देंगे। विधानसभा वार आश्वासनों की सूची बना कर प्रमुख स्थानों पर चिपका दी जाए। आम सभाओं में दिए गए आश्वासनों की सूची भी उसी प्रकार बना कर सार्वजनिक स्थानों पर लगाई जाए। अपने प्रतिनिधियों को लगातार याद दिलाया जाए और प्रत्येक ३ माह पर एक आडिट किया जाए जो उनके समक्ष हो। आपको अलर्ट रहना होगा। याद रहे, “नज़र हटी और दुर्घटना घटी”।
this approach can change the scenario.
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