पहली बार अंतरराष्ट्रीय जनरल हिस्ट्री टुडे में डा आनंदवर्धन द्वारा लिखे गये लेख “The Sanyasi Revolt: A Critical Reappraisal” में किया गया है इस लेख में हुशेपुर-गोपालगंज बाद में तमकुही-गोरखपुर के राजा फतह बहादुर शाही, मकसूदपुर राज्य गया के राजा पंडित पीताम्बर सिंह एवं बनारस के राजा चेत सिंह साथ ही बेतिया के राजा युगल किशोर सिंह (ये चारों ही भूमिहार ब्राह्मण कुल के थे) के द्वारा सन्यासियों को दिये गये नेतृत्व और कंपनी सेना को युद्ध मे पहुचाई गई व्यापक क्षति का व्यापक वर्णन किया गया है। इसके अलावा भवानी पाठक (बक्सर के जासो गावँ के भूमिहार ब्राह्मण) द्वारा बंगाल में क्रांति के नेतृत्व की परिचर्चा भी की गई है।
डॉक्टर वर्धन ने ब्रिटिश अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर यह प्रमाणित किया है कि 30 साल तक चलने वाले सन्यासी विद्रोह को सफल नेतृत्व देने का कार्य पंडित फ़तेह बहादुर शाही ने किया था। अपने तथ्य की पुष्टि में 1830 में छपे कलकत्ता रिव्यु के उस तथ्य को प्रस्तुत किया है जिसमे यह लिखा गया है कि ईस्ट इंडिया कंपनी के लिये सबसे बड़ा खतरा न मुगल थे न मराठे थे बल्कि फतह बहादुर शाही एवम उनकी सेना थी।
साभार: डॉक्टर आनंद वर्धन