अन्तर्जातीय विवाह दलित और एससी,एसटी की राजनीति करने वाले नेताओं के प्रमुख एजेंडे में से एक है.लेकिन सच्चाई ये है कि सवर्ण जाति को अन्तर्जातीय विवाह की बात कहने वाले फर्जी नेता खुद कभी किसी गरीब-गुरबे और दलित-वंचित की बेटी से ब्याह नहीं करते।।लालू चुन-चुनकर यादव दामाद लाते हैं।।अखिलेश यादव राजपूतानी से शादी करते हैं।।रामविलास पासवान.... लिस्ट लंबी है।। आखिर अन्तर्जातीय विवाह की बात करने वाले नेतागण खुद क्यों नहीं अन्तर्जातीय विवाह करते ? यदि करते भी हैं तो उनकी प्राथमिकता में सवर्ण ही क्यों होते हैं? क्योंकि सच्चाई ये है कि विवाह समाज की नींव को खोखला करता है. वर्णशंकर संताने जाति के प्रति समर्पित नहीं होती. दूसरी तरफ विजातियों का समाज में दखल बढ़ जाता है. इस मामले में पारसी समुदाय से सीख लेने की जरुरत है. पारसी समुदाय में अंतर्जातीय विवाह करने पर बिरादरी से बाहर कर दिया जाता है.यदि अन्तर्जातीय विवाह की स्थिति बनती भी है तो सवर्ण को सवर्ण से विवाह करना चाहिए. शास्त्र भी इसकी इजाजत देते हैं और वेद-पुराण में ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें बाह्मण और क्षत्रियों के विवाह के उदाहरण है. इसलिए अन्त…
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