-रणवीर-
राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) के टिकट पर जहानाबाद से निर्वाचित सांसद डॉ.अरुण कुमार कुमार एक बार खूब विवादों में फंसे थे जब उन्होंने नीतिश कुमार की छाती तोड़ने वाली बात कही थी.राजनीतिक गलियारे में उनका बयान खूब गूंजा और शोर-शराबा भी ज़ोरदार हुआ. जदयू ने इसपर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए इसे साहित्यिक आतंकवाद की संज्ञा तक दे डाली थी.बाकायदा इस बयान के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया गया.दरअसल ये बयान विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद दिया गया था. अरुण कुमार का आरोप था कि विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बहाने एक विशिष्ट जाति (भूमिहार) को निशाना बनाया जा रहा है.उसी पर अरुण कुमार ने बयान दिया कि हमने भी चूड़ी नहीं पहन रखी है और हम अपने सम्मान को क्षति पहुंचाने वाले मुख्यमंत्री की छाती तोड़ देंगे.
बहरहाल बयान का मकसद छाती तोड़ने से ज्यादा भूमिहार वोटरों को रिझाने और हो-हंगामा करना था जो हुआ भी. नीतिश कुमार की छाती ना टूटनी थी और ना ही टूटी.लेकिन उलटे अरुण कुमार की छाती कुशवाहा ने तोड़ दी.ऐसा केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने अरुण कुमार को पार्टी से निकालकर की. हालाँकि अरुण कुमार ने भी पलटवार करते हुए कुशवाहा पर कारवाई की. लेकिन उसका परिणाम क्या निकला?
अरुण कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा दोनों ने मिलकर रालोसपा की नीव डाली, एनडीए के साथ गठबंधन किया और पहले ही चुनाव में तीन लोकसभा सीट लेकर आए. लेकिन जब मंत्री बनने की बारी आयी तो जातीय समीकरण की वजह से उपेन्द्र कुशवाहा मोदी सरकार में मंत्री बने. अब जब मनमुटाव बढ़ते-बढ़ते बिखराव तक पहुँच गया तब भी उपेन्द्र कुशवाहा केंद्रीय मंत्री बरकरार हैं और अरुण कुमार समानांतर पार्टी का दावा करने के बावजूद हंगामेबाज से ज्यादा कुछ नहीं लग रहे हैं. ऐसे में ये कहना सही ही होगा कि उपेन्द्र कुशवाहा ने तोड़ दी अरुण कुमार की छाती. और हां यहाँ छाती तोड़ने का अंदाज़ साहित्यिक ही लीजिए अरुण जी.
अरुण कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा दोनों ने मिलकर रालोसपा की नीव डाली, एनडीए के साथ गठबंधन किया और पहले ही चुनाव में तीन लोकसभा सीट लेकर आए. लेकिन जब मंत्री बनने की बारी आयी तो जातीय समीकरण की वजह से उपेन्द्र कुशवाहा मोदी सरकार में मंत्री बने. अब जब मनमुटाव बढ़ते-बढ़ते बिखराव तक पहुँच गया तब भी उपेन्द्र कुशवाहा केंद्रीय मंत्री बरकरार हैं और अरुण कुमार समानांतर पार्टी का दावा करने के बावजूद हंगामेबाज से ज्यादा कुछ नहीं लग रहे हैं. ऐसे में ये कहना सही ही होगा कि उपेन्द्र कुशवाहा ने तोड़ दी अरुण कुमार की छाती. और हां यहाँ छाती तोड़ने का अंदाज़ साहित्यिक ही लीजिए अरुण जी.
(रणवीर की डायरी)
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